शेख हसीना को सुनाई गई सजा-ए-मौत पर आया भारत का बयान, जानें क्या कहा

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सोमवार को कोर्ट ने एक बेहद बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार, सत्ता का गलत इस्तेमाल और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के मामलों में दोषी ठहराया।

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के पांच आरोपों पर अपना फैसला सुनाया है। ये आरोप जुलाई-अगस्त 2024 में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन से जुड़ी अशांति से उत्पन्न हुए हैं। शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ 8747 पन्नों के आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल गये थे, जिनमें पीड़ितों के बयान, जब्त किए सबूत और पीड़ितों की पूरी लिस्ट होने की बात कही गई थी। इसी आधार पर ICT ने शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकारी गवाह बनने के लिए पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को एक केस में माफ कर दिया है, वहीं दूसरे केस में उन्हें 5 सालों की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने कहा है कि उन्होंने पूरा खुलासा किया है और कोर्ट के सामने में सच्चाई रखी है।

शेख हसीना ने घातक हमले के आदेश दिएकोर्ट
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICT) ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर जुलाई को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। इन तीनों के ऊपर विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप लगाने वाले मामले में फैसला आया है। ICT के न्यायमूर्ति गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया है। बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार, ICT ने किसी वर्तमान शासनाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि शेख हसीना ने छात्रों के प्रदर्शन को कुचलने का आदेश दिया था। शेख हसीना के आदेश के बाद छात्र प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को बुरी तरह से कुचला गया। छात्रों के प्रदर्शन को क्रूरता से कुचला जा रहा है इसकी जानकारी शेख हसीना को थी। कोर्ट ने कहा है कि शेख हसीना ने हेलीकॉप्टर से प्रदर्शनकारियों पर घातक हथियारों के इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी और उनके आदेश पर ही ड्रोन से प्रदर्शनकारियों पर नजर रखी गई। जिसकी वजह से 1400 प्रदर्शनकारी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, उन्हें घातक हथियारों का इस्तेमाल करके मौत के घाट उतारा गया। इसीलिए शेख हसीना, असदुज्जमां खान कमाल (तत्कालीन गृह मंत्री) और चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून (तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक) को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि शेख हसीना ने ढाका यूनिवर्सिटी के VC को टेलीफोन पर धमकाया था कि जिस तरह से रजाकारों को फांसी की गई थी, उसी तरह से इन प्रदर्शनाकिरियों को भी मार दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टर से घातक बम गिराने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि किस तरह से क्रूरता से प्रदर्शनकारियों को मारा जा रहा था, उसकी सारी जानकारी शेख हसीना के पास थी। खुद शेख हसीना ही ऐसे हमलों का आदेश दे रही थी। शेख हसीना के कहने पर पुलिस ने हिंसक कार्रवाई की और 1400 लोगों को मार डाला। ढाका यूनिवर्सिटी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने घातक हथियारों का इस्तेमाल किया और उनपर गोलीबारी की।

कोर्ट ने कहा है कि इतना ही नहीं, अस्पतालों को शेख हसीना ने धमकी दी थी कि किसी भी घायल प्रदर्शनकारी का इलाज नहीं किया जाए। कोर्ट ने कहा कि जिन डॉक्टर घायल प्रदर्शनकारियों का इलाज किया, उनका तत्काल ट्रांसफर कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों की जांच की जा रही थी कि क्या किसी अस्पताल में घायल प्रदर्शनकारी का इलाज तो नहीं हो रहा है। जिसे देखते हुए डॉक्टरों ने मरीजों का नाम बदलकर उनका इलाज करना शुरू किया। जो प्रदर्शनकारी मर रहे थे उन्हें जलाया जा रहा था।

शेख हसीना को सजा का ऐलान
अभियोजकों ने कोर्ट में बताया था कि शेख हसीना ने 14 जुलाई 2024 को गणभवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भड़काऊ टिप्पणी की थी। इसके बाद, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर छात्रों और नागरिकों पर सुनियोजित हमले किए। ICT इस बात की जांच कर रहा था कि क्या हसीना, कमाल और मामून ने इन हमलों को उकसाया, उनका समर्थन किया या उन्हें अनुमति दी, और क्या वे दमन के दौरान की गई हत्या, हत्या के प्रयास और यातना को रोकने या दंडित करने में नाकाम रहे?

शेख हसीना पर विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और गोला-बारूद के इस्तेमाल का निर्देश देने का आरोप था, जिसे कोर्ट ने सही माना है। कमाल और मामून ने कथित तौर पर अपनी कमान श्रृंखला के माध्यम से इन आदेशों को प्रसारित और लागू किया। अभियोजकों का कहना है कि यह आदेश, उकसावे और षड्यंत्र के माध्यम से मानवता के विरुद्ध अपराध है। इन तीनों पर 16 जुलाई 2024 को बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के सामने अबू सईद की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया गया था। अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि हत्या शीर्ष राजनीतिक और सुरक्षा नेतृत्व के आदेश पर की गई थी इसीलिए वे हमले का आदेश देने, सहायता करने और साजिश रचने के लिए उत्तरदायी हैं।

क्या हसीना को फांसी के लिए भेजेगा भारत ? विशेषज्ञ ने क्या बताया ?

Sheikh Hasina Extradition Demand : शेख हसीना को ICT या इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल बांग्लादेश ने मौत की सजा सुनाई है। जिसके बाद बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने भारत को प्रत्यर्पण संधि की याद दिलाते हुए, शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। क्या भारत अब बांग्लादेश के साथ संबंध बनाए रखने के लिए शेख हसीना को उसे सौंप देगा, इसे लेकर चर्चाएं जारी हैं। अब देखना है कि क्या भारत सीधे-सीधे प्रत्यर्पण संधि का पालन करेगा या कोई बीच-बचाव वाला सौहार्दपूर्ण नीति पर अमल करेगा?

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